अमेरिकी बाजारों में गिरावट: क्या है इसका कारण और आगे क्या होगा?
अमेरिका के शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई है, और यह लगभग 50 साल में पहली बार हुआ है कि ऐसा लगातार दस दिनों तक हुआ। 18 दिसंबर 2024 को डाओ जोंस इंडेक्स में 1123 अंक की गिरावट आई और यह 42336.87 पर बंद हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 में केंद्रीय बैंक (US Federal Reserve) सिर्फ दो बार ब्याज दरों में कटौती कर सकता है, जो बाजार में डर का कारण बन गया है। इसी वजह से अमेरिकी बाजार में भारी गिरावट देखी गई है। इसके चलते एशियाई और भारतीय बाजारों पर भी असर पड़ा है, और भारतीय आईटी कंपनियों के शेयरों में भी दबाव देखा जा सकता है।
अमेरिकी बाजार गिरने का कारण
अमेरिकी केंद्रीय बैंक (Fed) ने जो हाल ही में बयान दिया, उससे बाजार में चिंता पैदा हो गई। इसके मुताबिक, साल 2025 में सिर्फ दो बार ब्याज दरों में कटौती हो सकती है, जबकि महंगाई को कंट्रोल करने के लिए अभी और कड़े कदम उठाने की आवश्यकता हो सकती है। इस घोषणा ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया और बाजार में गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया।
आपके पैसे पर असर
इन हालात के कारण सोने और चांदी की कीमतें भी गिर गई हैं। सोने की कीमतें एक महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं, जबकि चांदी दो महीने के निचले स्तर पर है। साथ ही, अमेरिकी बॉंड यील्ड भी 4.52% तक पहुंच गई है। इससे निवेशकों के बीच असमंजस है कि आगे क्या होगा।
आईटी कंपनियों पर असर
अमेरिका में ब्याज दरों की खबरों का असर आईटी कंपनियों के शेयरों पर भी पड़ा है। हाल ही में नैस्डैक इंडेक्स में गिरावट आई है, और इसका असर भारत की आईटी कंपनियों पर भी देखा जा सकता है।
यहाँ एक सारांश टेबल के रूप में:
विषय | विवरण |
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अमेरिकी बाजारों में गिरावट | 18 दिसंबर 2024 को डाओ जोंस इंडेक्स में 1123 अंकों की गिरावट आई और यह 42336.87 पर बंद हुआ। |
गिरावट का कारण | अमेरिकी फेडरल रिजर्व का बयान कि 2025 में केवल दो बार ब्याज दरों में कटौती होगी और महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। |
वैश्विक बाजारों पर असर | एशियाई और भारतीय बाजारों में भी गिरावट आई, विशेष रूप से भारतीय आईटी कंपनियों के शेयरों पर दबाव। |
कीमती धातुओं पर असर | सोने और चांदी की कीमतें एक महीने और 2.5 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई। |
अमेरिकी बॉंड यील्ड | 10 सालों की अमेरिकी बॉंड यील्ड 4.52% पर आ गई। |
आईटी कंपनियों पर असर | अमेरिका में ब्याज दरों के बदलाव से आईटी कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई, और इसका असर भारत की आईटी कंपनियों पर भी पड़ सकता है। |
आगे की उम्मीदें | अगर अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती होती है, तो भारत पर मिश्रित असर होगा—विदेशी निवेश बढ़ने और रुपये की मजबूती से भारत को फायदा हो सकता है। |
भारतीय बाजारों पर असर | भारत में महंगाई कम होने के कारण रिजर्व बैंक से ब्याज दरों में कटौती की संभावना है, जो भारतीय बाजार को लाभकारी बना सकती है। |
क्या होगा आगे?
अगर अमेरिका में ब्याज दरों में कमी होती है, तो इसका भारत पर मिश्रित असर होगा। हालांकि, विदेशी निवेश बढ़ने और रुपये की कीमत मजबूत होने से भारतीय बाजार को फायदा हो सकता है। इसी तरह, भारत में महंगाई कम होने की वजह से अगले समय में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से ब्याज दरों में कटौती की संभावना है।